नसीहत इतनी ही दो
जिससे खुद पर अमल कर सको.
इंतज़ार उतना ही करवाओ
जितना खुद कर सको.
गुस्सा इतना ही करो
कि बाद में नज़रे मिला सको.
यूँ तो बेइंतेहा होती है मगर
मोहब्बत भी उतनी ही करो
कि आदत न बन जाओ.
~ SheetalS
No comments:
Post a Comment