Saturday, 10 June 2023

तुम रेत थे



तुम रेत थे 

सरक गए. 


तुम पानी थे 

बह गए. 


तुम रंग थे 

बिखर गए. 


तुम आग थे 

बुझ गए. 


तुम पत्थर थे 

टूट गए. 


और 

मैं धरा बन तुम्हें समेट लेती हूँ. 


- शीतल सोनी

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