तुम यूँ ही बातें करते रहो
मैं तुम्हें सुनती रहूँगी.
अपनी हर खुशी, हर परेशानी,
हर तमन्ना, हर उदासी
बयान करते रहना…
मैं तुम्हें सुनती रहूँगी.
तुम वक़्त न देखना,
तुम जगह न देखना,
जब जी में आए कुछ
बेशक बता दिया करना…
मैं तुम्हें सुनती रहूँगी.
तुम बहुत अच्छे हो.
किसी को तुमसे और
तुम्हें किसी से मोहब्बत हो जाए
मुझे बता देना…
मैं तुम्हें सुनती रहूँगी.
न कभी तुम्हारी बातों को तोलूंगी
न कभी इनके मायने ढूंढूंगी
और अगर किसी दिन चुप भी हो जाओगे
तब भी…
मैं तुम्हें सुनती रहूँगी.
~ शीतल सोनी
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