आओ तुम्हें आज़ाद कर देती हूँ. दिल मेरा है तो इसमें तुम्हारी कोई भी चीज़ क्यों रखूं? तुम्हारी बातें, तुम्हारी आवाज़, तुम्हारी यादें ने भीड़ बना रखी है और इस भीड़ से अब मुझे घुटन होने लगी है. मैं अपने दिल को फिर से सजाना चाहती हूँ. जिस सामान की परवाह तुम्हें ही नहीं, उसे मैं कब तक संभालूं.
सो आज अपने दिल से तुमसे जुड़ी हर चीज़ बाहर निकाल फेंकी है. और अब मैं रह गई हूँ खाली. बिल्कुल खाली.
Sheetal S
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