हमारे बुलाने पर चले आते हो
अच्छी बात है।
कभी बिन बुलाए चले आओ
तो क्या बात हो!
आते ही घड़ी देखने लगते हो…
कभी वक़्त को भूल जाओ
तो क्या बात हो!
आते हो और बैठते हो दूर हमसे
कभी हमारे करीब बैठो
तो क्या बात हो!
हम रुकने को कहेंगे
तो रुक जाओगे मगर
अपनी मर्ज़ी से रुक जाओ
तो क्या बात हो!
~ शीतल सोनी
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