बड़ी देर बाद समझ आया…
हम उनके लिए खास थे ही नहीं।
जो भी थे, सिर्फ़ हमारे थे…
उनके दिल में हमारे लिए
कोई एहसास थे ही नहीं।
ग़लती उनकी भी नहीं.
जो हमें पसंद आए
उन्हें हम पसंद आए…
यह ज़रूरी तो नहीं।
जहाँ उन्हें हमारा वजूद
बार बार याद दिलाना पड़े
कैसे मोड़ पर आ गए रिश्ते…
मोहब्बत है, बीमारी तो नहीं।
~ शीतल सोनी
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