एक कमरा था. मैंने अपनी सारी पसंदीदा चीज़ें उसमें रखी थी… वह हर चीज़ जो मुझे खुशी देती थी और सुकून देती थी. मैं जब कभी उदास होती, उस कमरे में जा कर बैठ जाती. किसी ने मगर उस कमरे की चाबी चुरा ली है… शायद उस कमरे का हकदार. अब मुझे उस कमरे को भूलना होगा.
वह कमरा तुम थे.
~ शीतल सोनी
No comments:
Post a Comment