Thursday 19 May 2016

जिस दिन ... 1

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हर्ष ने अपनी किताबें कबर्ड में रख दी. दिवाली की छुट्टियों में होमवर्क कौन करे? दूध पीया और इमरान के घर भागा. इमरान जूते पहन रहा था. दोनों ने मिल कर तय किया था कि स्कूल से मिला होमवर्क छुट्टियां खत्म होने के तीन दिन पहले शुरू करेंगे. मंदिर के पीछे बड़े मैदान की तरफ बॉल और बेट लेकर चल दिए.
हर्ष ने कहा "याद है ना आज पहले मैं बैटिंग करूँगा?"
"हाँ याद है." इमरान ने जवाब दिया. फिर कुछ हिचक कर कहा "हर्ष, तूने आज शुभम के साथ जो किया वह ठीक नहीं था."
"मतलब?"
"मतलब एक तो उसने तुझे अपनी किताब दी जिससे तू अपना छूटा हुआ होमवर्क कर सके और तुम्हे मेथ्स के प्रश्न हल करने में मदद भी की. मगर जब उसने तुमसे पुछा कि क्या वह हमारे साथ खेल सकता है तुमने साफ़ मना कर दिया?"
"अरे छोड़ ना! वह नहीं होता तो कोई और होता मदद करने के लिए."
"हाँ होता. मगर फिर भी ... एक दिन के लिए ही खेल लेता हम दोनों के साथ. पता है अम्मी कहती है हमें हमेशा उन लोगों की कदर करनी चाहिए जो हमारे लिए अपना वक़्त निकाल कर हमें मदद करते हैं."
"उफ़ ओह! बहुत मिल जायेंगे ऐसे!"
"नहीं हर्ष. जिस दिन उन्हें कोई और कदर करने वाला मिल जायेगा तो वे हमारा साथ छोड़ देंगे. अच्छा यह ले बेट पकड़. मैं ईंट ले आता हूँ."
स्टंप्स की जगह चार ईंटो को एक के ऊपर एक रख कर वन-डे क्रिकेट मैच शुरू हुआ - ऐसी दो टीम के बीच में जिनमे एक एक खिलाड़ी ही था और हर खिलाड़ी की उम्र 8 साल की थी.


(to be continued ...)

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