Friday 22 October 2021

आठ ईंट

 




मधु १८ साल की थी जब उसकी शादी हो गई थी. ज़्यादा पढ़ लिख नहीं पाई थी कि क्योंकि गरिबी ने शिक्षा से पहले आमदनी का रास्ता दिखा दिया था. वह लोगों के घर बर्तन माँझती थी. शादी के तीन साल में दो बच्चे और पाँच साल बाद पति मर गया. रिश्तेदारों के पैसों की मदद चंद दिन ही चलनी होती है. बच्चों का भरण पोषण करने के लिए वह वापिस काम पर लग गई. फिर आई महामारी. लोगों ने उसको घर आने से मना कर दिया कि बीमारी ऐसे ही फैलती है. गरीब बीमारी से बाद में, भूख से पहले मरता है. एक इमारत बन रही थी वहां पर वह ईंट उठाने का काम करने लगी. सिर पर छः ईंटो के बोझ से अपने पेट का बोझ कम कर रही थी.

इमारत का मालिक एक दिन वहाँ आया. मधु ने हाथ जोड़ कर कहा "पैसे कुछ बढ़ाइए साहिब जी." मालिक ने कहा "छः की जगह आठ ईंट उठाया करो". वह जा कर गाड़ी में बैठ गया. उफ़ यह गर्मी. जेब से मोबाइल निकाला. देखा तो भारत की मीराबाई चनु ने ओलिपमिक में भारोत्तोलन के लिए रजत पदक जीता था. मालिक ने तुरंत ट्वीट किया "कांग्रचुलेशन्स मीराबाई! धिस इस रियल वुमन एम्पावरमेंट!"


~ शीतल सोनी





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