Thursday 21 October 2021

जाओ तुमसे बात ही नहीं करनी मुझे.






जाओ तुमसे बात ही नहीं करनी मुझे.
 
तुमसे बाते करूंगी. तुम भी बात करोगे. तुम्हें मेरी बातें अच्छी लगेगी. सब को अच्छी लगती है. फिर हम मिलेंगे. दोस्त बनेंगे. एक दूसरे का हाल पूछते रहेंगे. सुख दुःख बांटेंगे. रोज़मर्रा की बातें करेंगे, मौसम की बातें करेंगे, लोगों की बातें करेंगे, देश की बातें करेंगे, दिल की बातें करेंगे. फिर कुछ वक़्त बाद तुम्हें मेरा हाल पूछना, तबियत पूछनी … सब खटकने लगेगा. मैं फिर भी तुम्हारी ख़ैर खबर पूछती रहूंगी, खयाल रखूंगी. क्या करूँ? पुरानी आदत है मेरी और यह आदत जाती नहीं. फिर तुम गुस्से में मुझसे कहोगे "इतना क्यों पूछती रहती हो. चैन से जीने दो थोड़ा". मैं दंग रह जाऊंगी. कभी सोचा ही न था कि तुम्हारे चैन की दुश्मन बनूँगी. मैं तुमसे दूरी बना लुंगी. तुमसे बातें नहीं करूंगी. कुछ दिन तो तुम आराम महसूस करोगे. फिर तुम सोचोगे कि मैं बात क्यों नहीं कर रही तुमसे. १० - १५ दिन इंतेज़ार करोगे. फिर सामने से मुझे मेसेज करोगे "बड़े लोग! मेसेज करने का समय नहीं या इरादा नहीं?" मैं तुम्हारा मेसेज पढ़ कर सोच में पड़ जाऊंगी कि तुमने ही कहा था तुम्हें चैन से जीने दूँ. मेसेज करूँ तो तकलीफ, न करूँ तो भी तकलीफ. 

मुझे इस उलझन में नहीं पड़ना. इसलिए … जाओ तुमसे बात ही नहीं करनी मुझे.




~ शीतल सोनी

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