Friday 22 October 2021

अलमारी या तिजोरी?



वह अक्सर अपनी बातें मुझसे कहता. काम में तरक्की हुई हो, घर पर कोई नई चीज़ खरीदी हो, कोई छोटी मोटी घटना हुई हो … सब बता दिया करता। मैं भी उसकी सारी बातें सुनती और अपने दिल के एक कोने में रख देती। बिल्कुल वैसे जैसे कोई अलमारी में चीज़ संभाल कर रख देता है।


और शायद हम सब किसी न किसी के लिए अलमारी ही हैं। कई बार यूँ भी होता है कि जिसने चीज़ रखी हो वह भूल गया हो पर हमें याद रहती है … क्योंकि हम उस चीज़, उस बात को संभाले हुए हैं। कुछ लोग ख़याल रखते हैं कि उनमें रखी हुई चीज़ को देखने का हक़ सिर्फ रखने वाले को होता है। हर किसी को बताया नहीं करते कि देख मुझ में किसने क्या रखा है। और कुछ लोग तो खैर खुली अलमारी से होते हैं … कोई अपनी बात बताता है और साथ में दूसरों की बातें देख लेता है।


और कुछ बहुत अज़ीज़ लोग होते हैं जो तिजोरी होते हैं। आप उनसे किसी ओर के बारे में कुछ जान ही नहीं सकते। बड़ी हिफाज़त से संभाल रखते हैं आपकी हर बात, हर चीज़।


तो, आप क्या हैं? अलमारी या तिजोरी?


शीतल सोनी

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