Sunday 11 September 2016

सुप्रीम कोर्ट - 5

हम दोनों फिर से पापा की ऑफिस में गए. पापा एक कागज़ पर कुछ गुना-भाग कर रहे थे. उनके पास अगर केल्क्युलेटर होता तो यह काम शायद आसान होता. मैं अपनी अंग्रेज़ी की किताब हाथ में लिए पापा के पास गई और कहा "पापा, यह देखिये मैंने 'Our Environment (हमारा पर्यावरण)' पर निबंध लिखा जो मेडम को इतना पसंद कि उन्होंने मुझे ३ स्टार दिए". यह कह कर पापा के हाथों में मैंने अपनी किताब थमा दी. वे चाहे कितने भी व्यस्त होते, हम बच्चों की यह कोशिशें और प्राप्तियों को सराहते और प्रोत्साहन देते. पापा वह निबंध पढ़ने लगे. दीदी चुपके से ऑफिस में आई और कोने में पड़े छोटे मेज़ के पास गई. उस मेज़ पर पड़े दो तीन दिन पुराने अख़बार को उठा कर हलके से केल्क्युलेटर उनके नीचे सरका दिया. फिर वह पापा के पास आई और कहा "पापा मुझे स्कूल के एक प्रोजेक्ट के लिए कुछ अख़बार चाहिए. मैं ले सकती हूँ?" पापा ने हाँ में सिर हिलाया. दीदी वापिस उस मेज़ के पास गई और अख़बार को उठाया और ख़ुशी से बोली "पापा! देखिये केल्क्युलेटर मिल गया!" और पापा के पास उससे ले आई. पापा बड़े आश्चर्य से देख रहे थे. सोच रहे थे कि जब उन्होंने तीन-चार बार वहां देखा तब तो केल्क्युलेटर वहाँ नहीं था. और अब? वे हम दोनों को बड़े अजीब से देख रहे थे. शायद उन्हें यकीन नहीं हो रहा होगा कि हमने उनकी इतनी बड़ी मदद कर दी. फिर वह मुस्कुराये और कहा "थैंक यू प्रियंका बेटा, तुम दोनों सचमुच कमाल हो". दीदी और मैं बहुत खुश हुए कि दीदी का आईडिया कामयाब रहा और पापा की तारीफ़ भी सुनने मिली. तपती ज़मीन पर आखिर हमने ठंडा पानी छिड़क ही दिया. पापा हमें देख कर मंद मंद मुस्कुरा रहे थे. 
"आप खुश हैं न पापा?" दीदी ने पूछा. 
"हाँ प्रियंका, मैं खुश हूँ".
अब यह सही समय था फैसला करवाने के लिए.
"अच्छा, अब आप सुनिये इस ईशा ने क्या किया. मुझसे पूछे बिना मेरी कलर पेंसिल्स ली और बॉक्स भी तोड़ दिया."
"नहीं पापा, दीदी झूठ बोल रही है. मम्मी ने कहा था कि मैं दीदी की पेंसिल्स ले सकती हूँ. और बॉक्स छीना झपटी में टूटा. दीदी ने तो मेरी ड्रॉईंग ही खराब कर दी". फिर दीदी को देखते हुए मैंने कहा "मैं वैसे भी तेरी पेंसिल्स खा नहीं जाती". 
"देखा पापा यह कैसे आड़े-टेढ़े जवाब देती है, ज़ुबान लड़ाती है. आप इससे समझाए कि ऐसा नहीं करना चाहिए. मैं आखिर उसकी बड़ी दीदी हूँ". 
"पापा आप दीदी से कहिए कि हमेशा मुझ पर ऐसे दादागिरी न करे". 
"पापा, ईशा पूछे बिना ... "
ऑफिस हम बहनों की दलीलों के कोलाहल से गूँज रहा था.

हमारे प्यारे सुप्रीम कोर्ट हमें बड़े प्यार से देख कर अभी भी मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे. 

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