Saturday 10 June 2023

एक सिगरेट सुलगा ली


 

एक सिगरेट सुलगा ली. 


एक कश लिया. बचपन की यादें, घरवालों का अपनापन, दोस्तों के साथ खेलना, मटरगश्ती करना. अब कभी न लौटने वाले बचपन का वह कश धुएँ में उड़ा दिया. 


एक ओर कश लिया. उसकी धुंधली तस्वीर आँखों के सामने आई. उसका सजना संवरना, प्यार से मुस्कुराना, तारीफ़ सुन कर शरमाना, साथ निभाने के वादे करना और फिर किसी ओर की हो जाना. उस मोहब्बत का वह कश धुएँ में उड़ा दिया. 


तीसरा कश लिया. कुछ कर दिखाने का जोश, कुछ बड़ा हासिल करने की तमन्ना जो हकीकत की दुनिया रोंद गई, कुछ पाने की जो आग थी उस पर ठंडा पानी फ़ेंक गई. अपने हर सपने का कश धुएं में उड़ा दिया. 


चौथा कश लिया. कोशिशें तो जारी ही है मगर अब आनेवाले कल को लेकर कोई आस नहीं. पानी सी ज़िन्दगी है मगर अब जीने की कोई प्यास नहीं. आने वाले कल का कश धुएं में उड़ा दिया. 


सिगरेट सुलगती रही, एक एक अरमान धुआँ हो गया. कहने को वह ज़िंदा है, सिगरेट की तरह मगर अब उसका वजूद सुलग गया. 


~ शीतल सोनी


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