हम अपने शब्द वापिस नहीं ले सकते.
कई अनुमान लगाते हैं. कई पूर्वधारणा बना लेते हैं. किसी की बातों में आ कर बहुत सारे अपशब्द बोल देते हैं उस व्यक्ति को. ओरों को भी उकसाते हैं. सत्य जाने बिना उस व्यक्ति को सब के सामने बदचलन, झूठा, धोखेबाज़ कह देते हैं. स्वयं को दूध का धुला बताने के चक्कर में उस पर कीचड़ उछालते हैं. या अपनी कोई खीज निकालने के लिए ही ऐसा करते हैं.
समय बीतता है. और एक दिन आपको पता चलता है कि उस व्यक्ति ने कभी आपके लिए कुछ नहीं कहा, बस आप ही गलत समझ बैठे. आपको जो दिखाया गया, जैसे भड़काया गया वैसे ही आप बहक गए. आपकी सारी धारणाएं झूठी और सारे अनुमान गलत निकले. मगर अब क्या करें? उन्हें अपशब्द बोलने का, उनकी निंदा करने का, उनका उपहास करने का जो कर्म आप कर चुके हैं उसका फल तो भुगतना ही होगा. इसलिए उचित यही रहेगा कि जब तक आपको किसी भी विषय के सारे पक्षो का पूर्ण ज्ञान न हो तब तक अपने अंदाज़े, अनुमान, अपने मत अपने तक ही सीमित रखें. क्योंकि …
हम अपने शब्द वापिस नहीं ले सकते.
~ शीतल सोनी
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