Thursday 8 December 2016

इतनी काली ...


वे दोनों चाँद को देख रहे थे.
पूनम का पूरा चाँद. काली तश्तरी से आसमान में दूध की एक बड़ी बूँद जैसा. समुन्दर में चाँद के उस प्रतिबिंब को मानो जैसे गेंद समझकर मौजें उससे उछालने की कोशिश कर रही हों. और वे दोनों उसी समुन्दर के किनारे खड़े चाँद की शीतलता को निहार रहे थे.
"कितना खूबसूरत लग रहा है न चाँद! अपनी चांदनी फैलाये हुए ..."
"हाँ. मगर इससे बेचारे तारों की जगमगाहट कम हो गई है. और तुम्हे नहीं लगता कि आसमान भी थोड़ा कम काला लग रहा है? ऐसा लगता है जैसे चाँद सबसे कह रहा हो 'मुझे देखो, मेरे सिवाय किसी और को न देखो'! है ना?"
वह हँस कर बोला "मुझे यकीन है इस बात से आसमान को और तारों को कोई जलन नहीं हो रही होगी. फिर तुम्हे क्यों तकलीफ हो रही है?"
"ज़रा सोचो, चाँद अगर इतना उज्जवल ना होता तो आसमान और भी कितना काला होता ..."
"मगर चांदनी ना होती तो मैं इस रात के अँधेरे मैं तुम्हारा चेहरा कैसे देखता?"
"उफ़ ओह! तुम भी बिना वजह ... तुम्हे नहीं लगता जैसे चाँद ने इस आकाश से उसका कालापन थोड़ा छीन लिया हो?"
"अरे हाँ हाँ , बिलकुल. वरना सोचो रात तुम्हारी चूड़ियां जितनी काली होती ना?"
वह अचानक से उसकी तरफ देख कर बोली "नहीं, तुम्हारे काले जूतों की तरह काली होती!"
"या फिर शायद तुम्हारे कुर्ती जैसी काली?"
"नहीं, तुम्हारी घड़ी जैसी काली!"
"तुम्हारे गर्दन पर जो काला तिल है वैसी ..."
"तुम्हारे यह घुंघराले बाल जैसी काली".
"शायद तुम्हारी पलकों जितनी काली".
"नहीं, तुम्हारी इन दो आँखों जैसी काली ..."
और वह उसकी आँखों को देखती रही ... दोनों एक दूसरे को देख रहे थे ...
और अब चाँद उन दोनों को देख रहा था.


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