दुनिया में सबसे प्यारी मेरी माँ!
सुबह की पहली किरण सी मेरी माँ,
काले आसमान में पूनम के चाँद सी मेरी माँ!
तप्ती गर्मी में शीतल वर्षा सी मेरी माँ,
ठिठुरती ठंड में आग की गर्मी सी मेरी माँ!
मैं डगमगाती तो ठीक से चलना सिखाती मेरी माँ,
और गिर जाती तो उठाकर संभलना सिखाती मेरी माँ!
मैं रोती तो मेरे आँसू पोंछकर मुझे हंसाती मेरी माँ.
मुझे लड़ना, आगे बढ़ना सिखाती मेरी माँ
और ज़रुरत पढ़ने पर रुक जाना भी सिखाती मेरी माँ!
मैं जीत जाऊँ तो मेरी पीठ थपथपाती मेरी माँ
और हार जाऊँ तो हौसला बढ़ाती मेरी माँ!
मेरी हर अगुआई के लिए दुआ मांगती मेरी माँ
और जब थक जाऊँ तो माथा सहलाती मेरी माँ!
अपने पैरों पर खड़े होकर कुछ पाना सिखाती मेरी माँ
पर साथ ही मेरे लिए दुनिया से लड़ लेती मेरी माँ!
सदा मुझ पर स्नेह और आशीष बरसाती मेरी माँ,
मेरी बला और मेरे बीच में ढाल बनती मेरी माँ!
आज मैं सफल हूँ, सक्षम हूँ, संपन्न हूँ
पर फिर भी हूँ अधूरी
क्योंकि मेरे पास अब नहीं है ... मेरी माँ.
सुबह की पहली किरण सी मेरी माँ,
काले आसमान में पूनम के चाँद सी मेरी माँ!
तप्ती गर्मी में शीतल वर्षा सी मेरी माँ,
ठिठुरती ठंड में आग की गर्मी सी मेरी माँ!
मैं डगमगाती तो ठीक से चलना सिखाती मेरी माँ,
और गिर जाती तो उठाकर संभलना सिखाती मेरी माँ!
मैं रोती तो मेरे आँसू पोंछकर मुझे हंसाती मेरी माँ.
मुझे लड़ना, आगे बढ़ना सिखाती मेरी माँ
और ज़रुरत पढ़ने पर रुक जाना भी सिखाती मेरी माँ!
मैं जीत जाऊँ तो मेरी पीठ थपथपाती मेरी माँ
और हार जाऊँ तो हौसला बढ़ाती मेरी माँ!
मेरी हर अगुआई के लिए दुआ मांगती मेरी माँ
और जब थक जाऊँ तो माथा सहलाती मेरी माँ!
अपने पैरों पर खड़े होकर कुछ पाना सिखाती मेरी माँ
पर साथ ही मेरे लिए दुनिया से लड़ लेती मेरी माँ!
सदा मुझ पर स्नेह और आशीष बरसाती मेरी माँ,
मेरी बला और मेरे बीच में ढाल बनती मेरी माँ!
आज मैं सफल हूँ, सक्षम हूँ, संपन्न हूँ
पर फिर भी हूँ अधूरी
क्योंकि मेरे पास अब नहीं है ... मेरी माँ.
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