टीस सी उठती है दिल में,
काँटे चुभते हैं।
नज़र नहीं आते
पर चुभते हैं।
रेहने दो, तुम नहीं समझोगे।
सीने में जलन होती है
धुआँ सा उठता है।
नज़र नहीं आता
पर उठता है।
रेहने दो, तुम नहीं समझोगे।
एक पीड़ा चीर देती है
खून बेहता है।
नज़र नहीं आता
पर बेहता है।
रेहने दो, तुम नहीं समझोगे।
एकांत होता है।
मैं रोती रेहती हूँ।
आँसू नज़र नहीं आते
पर मैं रोती रेहती हूँ।
रेहने दो, तुम नहीं समझोगे।
मुझे अपने गले लगा लो
थोड़ा आराम मिल जायेगा
ज़ख्म पर मरहम सा लग जायेगा।
पर …
रेहने दो, तुम नहीं समझोगे।
Good
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