क्यों लोग ज़िन्दगी से चले जाते
हैं? क्यों
जाना होता है उन्हें?
एक-एक कर के लोग दूर चले जाते हैं. कभी किसी शख्स पर हाथ रखकर उसे
पाने की ख्वाहिश रखती हूँ तो किस्मत उसे फ़ौरन मुझसे दूर कर देती है. किसी भी बहाने से ... ज़िन्दगी के
हालात, शादी, काम, नौकरी और
सबसे बड़ी वजह - मौत. सब चले जाते हैं. जब तक साथ खड़े होते हैं तो ज़मीन स्थिर लगती
है. उनके जाते ही ऐसा लगता है जैसे आप के आसपास दलदल है. पाँव आगे बढ़ाते ही आप
विषाद के उस दलदल में फसने लगते हैं. और फिर कोई आता है जो आपको उस दलदल से निकाल
कर, उस
जगह से दूर ले जाता है. मगर फिर वह भी आपको छोड़ कर चला जाता है. आप फिर से अपने आप
को उसी स्थिति, उसी
हालत में पाते हैं. और इसी वजह से मैंने किसी का भी हाथ थामना छोड़ दिया है.
क्योंकि मैं जानती हूँ जो आज मेरा हाथ थामेगा वह कल छोड़ देगा.
क्यों लोग ज़िन्दगी से चले जाते
हैं? जाना
ही होता है तो क्यों ज़िन्दगी में आते हैं?
क्यों उनका साथ इतना क्षणिक होता है?
क्यों उन्हें अपने साथ रखने की हर मुमकिन कोशिश उन्हें हमसे ओर भी दूर कर देती
है?
क्यों मेरी ज़िन्दगी महज़ एक सराय
है जहाँ लोग आते तो हैं मगर रुकते नहीं?
क्यों मैं किसी का घर नहीं?
इस क्यों का उत्तर स्वयं आपके पास है.. वैसे अद्धभुत अभियक्ति
ReplyDeleteJust amazing
ReplyDeleteमुझे शायरी का शौक़ नहीं था.. ये स्कूल के बाद का मुंह के भाप से कांच साफ करने की रिवायत है.. और अब भी मिज़ाज़ों वाले पंक्तियाँ पढने का शौक़-चस्का-लत-तलब ऐसा है जैसे सिगरेट के आखिरी कश..
ReplyDeleteमुझे शायरी की बिलकुल भी समझ नहीं है.. लेकिन इस सालों-बरसों में इस तलब-चस्के ने सहेज-संवार के जीना जरुर सिखा दिया है.. मैं एकाकीपन में भी ढेरों रंग भर लेता हूँ.. पंक्तियाँ मेरे लिए उद्दाम वेग है..शायरी पढना ऐसा है जैसे मेरे बचपन के दिनों की हैण्डराइटिंग .. मैं थमना-रुकना नहीं चाहता हूँ.. मैं हर-दिन अपनी ज़िन्दगी के गिनता रहता हूँ.. हाईवे किनारे गाड़ी खड़ी करके कच्चे रास्तों पर दूर तक चिड़ियों का पीछा करता रहता हूँ.. चींटियों की बस्ती-मुहल्ले बनते-संवरते देखता हूँ.. छुट्टी के दिन पेड़ों पर चिड़ियों की आवाज़ पहचानता रहता हूँ .. कोहरे में तस्वीर बनाता रहता हूँ.. कभी उम्र तो कभी कपड़े तो कभी चेहरे के मामले में गच्चा खा जाता हूँ .. तस्वीर अब तक तो नहीं बनी है..लेकिन कोहरे में हाथ और आँख अक्सर भीग जाया करते हैं.. लेकिन पुरसुकून की बात है कि हाथ और आँखों की दोस्ती नहीं टूटती... आँख पोछने हाथ जरुर जाता है ..
दोस्त हमेशा साथ ही रहते हैं.. हमही उनकी क़द्र करना नहीं जानते..
#डायरी_के_पन्ने
किसी को खो देने के डर से भी लोग दूर चले जाते हैं।
ReplyDeleteकिसी को खो देने के डर से भी लोग दूर चले जाते हैं।
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