क्यों लोग ज़िन्दगी से चले जाते
हैं? क्यों
जाना होता है उन्हें?
एक-एक कर के लोग दूर चले जाते हैं. कभी किसी शख्स पर हाथ रखकर उसे
पाने की ख्वाहिश रखती हूँ तो किस्मत उसे फ़ौरन मुझसे दूर कर देती है. किसी भी बहाने से ... ज़िन्दगी के
हालात, शादी, काम, नौकरी और
सबसे बड़ी वजह - मौत. सब चले जाते हैं. जब तक साथ खड़े होते हैं तो ज़मीन स्थिर लगती
है. उनके जाते ही ऐसा लगता है जैसे आप के आसपास दलदल है. पाँव आगे बढ़ाते ही आप
विषाद के उस दलदल में फसने लगते हैं. और फिर कोई आता है जो आपको उस दलदल से निकाल
कर, उस
जगह से दूर ले जाता है. मगर फिर वह भी आपको छोड़ कर चला जाता है. आप फिर से अपने आप
को उसी स्थिति, उसी
हालत में पाते हैं. और इसी वजह से मैंने किसी का भी हाथ थामना छोड़ दिया है.
क्योंकि मैं जानती हूँ जो आज मेरा हाथ थामेगा वह कल छोड़ देगा.
क्यों लोग ज़िन्दगी से चले जाते
हैं? जाना
ही होता है तो क्यों ज़िन्दगी में आते हैं?
क्यों उनका साथ इतना क्षणिक होता है?
क्यों उन्हें अपने साथ रखने की हर मुमकिन कोशिश उन्हें हमसे ओर भी दूर कर देती
है?
क्यों मेरी ज़िन्दगी महज़ एक सराय
है जहाँ लोग आते तो हैं मगर रुकते नहीं?
क्यों मैं किसी का घर नहीं?